Rabbi Inni Lima Anzalta Dua In Hindi, Arabic & Urdu 2025
अस्सलामु अलैकुम रीडर्स,, Rabbi Inni Lima Anzalta Dua In Hindi एक मशहूर और मक़बूल दुआ है जो हज़रत मूसा (अ.स.) के वाक़िया से जुड़ी हुई है। इस दुआ का ज़िक्र क़ुरान-ए-करीम में सूरह अल-क़सस (28:24) में आया है।
हज़रत मूसा (अ.स.) के वाक़िया को तफ़सील से नीचे बयान किया गया है। इसे पढ़कर आप जान सकते हैं कि इस दुआ को क्यों पढ़ा जाता है।
Table of Contents
Iss Dua Ki Piche Ki Story
Surah Qasas Mein Musa (A.S) Ki Dua Ka Waqia
सूरह क़सस, क़ुरान का 28वां चैप्टर है, जिसमें हज़रत मूसा (अ.स.) की कहानी बयान की गई है। इस चैप्टर की आयत 24 में एक बहुत ही मशहूर दुआ का ज़िक्र है जो हज़रत मूसा (अ.स.) ने पढ़ी थी।
Hazrat Musa (A.S) Ki Dua Ka Story
हज़रत मूसा (अ.स.) को फिरोन के घर में पाला पोषा गया था, जो एक ज़ालिम हुक्मरान था। एक दिन हज़रत मूसा (अ.स.) शहर गए जहाँ उन्होंने दो मर्दों को लड़ते देखा। एक शख्स उनकी क़ौम का था और दूसरा उनका दुश्मन। हज़रत मूसा (अ.स.) ने लड़ाई में दखल दिया, मगर गलती से उनके हाथ से वो दुश्मन मर गया।
यह खबर शहर में फैल गई और लोग हज़रत मूसा (अ.स.) को एक ज़ालिम समझने लगे। एक शख्स, जो शहर के दूर कोने से आया था, ने उन्हें आगाह किया: “ओ मूसा, ये लोग तुम्हें मार डालने की साज़िश कर रहे हैं, इसलिए तुम शहर छोड़ दो। मैं तुम्हारे लिए एक ख़ैरख्वाह हूँ।” (28:20)
हज़रत मूसा (अ.स.) ने शहर छोड़ दिया और मदीयन की तरफ़ चल दिए।
Madyan Mein Hazrat Musa (A.S) Ka Tajurba
मद्यान में एक कुआँ था जहाँ लोग अपने जानवरों को पानी पिलाते थे। यहाँ हज़रत मूसा (अ.स.) ने देखा कि दो औरतें अपनी बकरियों को रोके खड़ी हैं और कुएँ के पास नहीं जा रही हैं। हज़रत मूसा (अ.स.) ने इन औरतों से उनका मसला पूछा।
इन औरतों ने जवाब दिया कि उनका बाप बहुत बूढ़ा है और वह भीड़ के मर्दों के साथ नहीं मिलना चाहतीं। इस वजह से वह इंतजार करतीं हैं जब तक बाकी चरवाहे अपने जानवरों को पानी पिला कर चले नहीं जाते।
हज़रत मूसा (अ.स.), जो खुद भी सफर की थकान से थके हुए थे, उनका काम कर दिया। उन्होंने औरतों के जानवरों को पानी पिलाया और फिर वापस जा कर एक साए में आराम करने लगे।
इसी वक्त हज़रत मूसा (अ.स.) ने अल्लाह से एक दुआ मांगी जो क़ुरान में आयत 24 में मौजूद है। तभी से इस दुआ को हज़रत मूसा (अ.स.) की दुआ कहा जाता है।
"रब्बि इन्नी लिमा अंजल्ता इलय्या मिन खैरिन फकीर।"
यह दुआ उनकी शुक्रिया और अल्लाह से मदद की तलब का इज़हार था। हज़रत मूसा (अ.स.) की यह दुआ हमें यह सिखाती है कि हर मुश्किल में अल्लाह पर भरोसा और उससे मदद मांगनी चाहिए।
Rabbi Inni Lima Anzalta Dua In Hindi
“रब्बि इन्नी लिमा अंजल्ता इलय्या मिन खैरिन फकीर।” (तर्जुमा: “मेरे रब! जो खैर (भलाई) तू ने मुझ पर नाज़िल की है, उसका मैं मोहताज हूँ।”)
यह दुआ हमें अल्लाह से हर किस्म के अच्छे रिज़्क (नौकरी, माल, शादी, खाना, और सफर से पहले मदद) की तलब का सबक देती है।
हज़रत मूसा (अ.स.) का मशवरा यह सिखाता है कि मदद करते वक्त कोई उज्र न रखें और सिर्फ अल्लाह की रज़ा के लिए काम करें।
सफर की थकान, भूख और अकेलेपन के बावजूद हज़रत मूसा (अ.स.) ने अल्लाह से शिकवा नहीं किया बल्कि उसी पर भरोसा रखा।
दुआ का यह जज़्बा सिखाता है कि मुश्किल के वक्त सिर्फ अल्लाह की तरफ रुजू करना चाहिए, क्योंकि रिज़्क और मदद सिर्फ उसी के हाथ में है।
हज़रत मूसा (अ.स.) की कहानी यह सिखाती है कि चाहे इंसान कितना ही बड़ा हो, अल्लाह की तरफ से आई मदद को क़बूल करने में कोई शर्म नहीं होनी चाहिए।
दुआ का अगला हिस्सा दिखाता है कि अल्लाह तआला कैसे अपने बंदे की दुआ सुनता है और उसके लिए बरकत और मदद भेजता है, जैसे हज़रत मूसा (अ.स.) को काम और आसरा दिया गया।
यह कहानी हमें याद दिलाती है कि अल्लाह की रहमत हमेशा उसके बंदे के साथ होती है, बस हमें सब्र और यक़ीन के साथ उससे दुआ करनी चाहिए।
यह दुआ सिर्फ एक अर्ज़ नहीं बल्कि एक रवैया है जो हमें सिखाता है कि अल्लाह की मदद के लिए तवक्कुल और शुक्र को अपनाना चाहिए। हर मुश्किल के पीछे अल्लाह की हिकमत होती है और उसका हल उसी से मिलता है।
Kab Aur Kaise Padhein?
तंगी के समय: जब आप किसी मुश्किल या ज़रूरत में हों।
इबादत के बाद: फ़र्ज़ नमाज़ के बाद या ताहज्जुद के वक़्त।
रोज़ा रखने के बाद: रोज़ा इफ्तार करते वक़्त या सेहरी के वक़्त।
Dua Ko Yaad Karne Ka Tareeqa
इस दुआ को छोटे हिस्सों में बाँट कर याद करें:
“रब्बी इन्नी”
“लिमा अंजलता इलय्या”
“मिन खैरिन फ़क़ीर”
हर नमाज़ के बाद इसे पढ़ने की आदत बनाएँ।
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Muhammad Sid
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