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Overview
Shahadat Nama Lyrics ek Islamic dua hai jo shahadat ka izhar karta hai aur Allah se madad aur hidayat ki dua karta hai.
Is dua ka maqsad Allah ki zaat ko yaad karna aur uski raza hasil karna hota hai. Shahadat Nama Lyrics mein Quran aur Hadith ki ayaat aur masnoon duaon ka zikr hota hai jo musalmanon ke liye rohani barkat aur hidayat ka zariya ban sakta hai.
Is dua ko behtareen tajweed ke sath padhna chahiye aur ise din mein kam se kam ek martaba padhna chahiye taake roohani faide hasil ho sakein.
Shahadat Nama Lyrics In Hindi
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
बज़मे जहां में धूम है मातम के शीन की
यारो ये गम फिज़ा है शहादत हुसैन (रज़ी०) की
क्या समझे कोई मोमिनो रुतबा हुसैन (रजी0) का
फरमाते हर घड़ी थे ये मेहबूबे किबरिया
लखते जिगर हुसैन (रज़ी०) व हसन (रज़ी०) नूरे ऐन हैं
है निस्फ तन हसन (रज़ी०) मेरा बाक़ी हुसैन (रज़ी०) है
सुनते थे कोई बच्चे के रोने की जब सदा
बेचैन हो के कहते थे सालारे अंबिया
चिल्ला के रो रहा है कोई तिफले नाज़नीन
लो साहिबो ख़बर के हुसैना न हों कहीं
रातों को उठ के जोश में मेहबूबे कर्दगार
फिरते थे गिर्द खानए ज़ेहरा के बार बार
आवाज़ सुनते थे जो नवासों के रोने की
फरमाते थे पुकार के ज़ेहरा (रज़ी०) से यूं नबी (स०)
बेदार हो के नींद से रोता है ज़ार ज़ार
समझाओ ताकी जल्द हो दिल को मेरे क़रार
ज़िंदा थे जब जहां में शहनशाहे जी हसब |
करते थे ईद माहे मोहर्रम में सब अरब
सुनने का माजरा हे दिन आया जो ईद का
हज़रत से जा के दोनों नवासों ने यूं कहा |
छोटे बड़े मदीने के पहने हैं सब लिबास
नाना फटे पुराने हैं कपड़े हमारे पास
एहले कुरैश कपड़े पहन करके आऐंगे
मारे हया के हम तो न मस्जिद में जाएंगे
आजुर्दा देख दोनों को शह को क्लक् हुआ
दरगाहे किबरिया में नबी (स०) ने यह की दुआ
या रब बहुत सगीर हैं दोनों ये नाज़नीन
पैगम्बरों के तौर से ये वाकिफ ज़रा नहीं
इतने में आए हज़रते जिबरील (अ०) तेज़ तर
ख़ुल्द-ए-बरीं से लाए दो मलबूस खूब तर
करने लगे ये अर्ज़ रिसालत मआब है
ये दोनों जोड़े आबे मुसफ्फा में डालिये
हिल्लों को पानी में वहीं हज़रत ने डालकर
पूछा कि रंग कौन सा मरगूब है पिसर
बोले हसन (रज़ी०) कि रंग हमें सब्ज़ चाहिये
नाना हमारे जोड़े को धानी बनाइये
मेहबूबे किबरिया ने जो पूछा हुसैन (रज़ी0) को
हंस कर कहा कि जोड़ा हमारा तो सुर्ख हो
हिल्ले निकाले पानी से जिस वक्त मुस्तफा (स०)
इक जोड़ा सुर्ख दूसरे का रंग सब्ज़ था
जब दोनों शाहज़ादे वो जोड़े पहन चुके
आंखों से जिब्राईल (अ०) को आंसू रवां हुए
हज़रत (स०) ने पूछा रोते हो भाई क्यों इस क़दर
जिब्राईल (अ०) अर्ज़ करने लगे हाथ जोड़ कर
जोड़ा पसंद जिसने किया सब्ज़ रंग का
अलमास पीके रंग जुमर्रद सा होवे गा
चाहा जो सुर्ख जोड़े को हज़रत हुसैन (रज़ी०) ने
ये क़त्ल होके खून में अपने नहाएंगे
सुलताने दो जहां हुए सुनके ये बेकरार |
उम्मत जो याद आई किया सब्र इख्तियार
ये अर्ज़ फिर हुसैन (रज़ी०) ने की हो के चश्म तर |
अहले मदीना जाते हैं ऊंटों पे बैठकर
हम को भी कोई नाका मिले आज नाना जान
ये सुन के आप उठे शहनशाहे दो जहां
फरमाया इतना किसलिये खातिर मलूल है
नाक़ा तुम्हारे वास्ते हाज़िर रसूल (स०) है
ये कहके उनको दोश पे अपने बिठा लिये
हंसते हुए मकान से बाहर निकल चले
फिर राह में नवासों ने ये पूछा नाना जान |
पकड़ी हैं सब सवारों ने ऊंटों की रेसमान
फरमाया फिर नबी (स०) ने की अफसूर्दा दिल न हो
ए नूरे ऐन ज़ुल्फें पयंबर (स०) की थाम लो
फिर चलते चलते दोनों ने हज़रत से यूं कहा
लोगों के ऊंट बोलते चलते हैं मुस्तफा (स०)
जब दोनों शहज़ादों की मर्ज़ी को पागए
अफ अफ फिर अपने मुंह से मोहम्मद पुकार उठे
हैरत हुई सहाबा (रज़ी०) को ये हाल देख कर |
फरमाया मुस्तफा ने फिर आंखों में अश्क भर
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Shahadat Nama In Urdu
شہادت نامه
بسم الله الرحمن الرحیم
بزم جہاں میں دھوم ہے ماتم کے شین کی
یار و یہ غم فیزا ہے شہادت حسینؓ کی
کیا سمجھے کوئی مؤمنور تبہ حسین کا
فرماتے ہر گھڑی تھے یہ محبوب کبری
لخت جگر حسین و حسن نور عین ہیں
ہے نصف تن حسن میر اباقی حسین ہے
سنتے تھے کوئی بچے کے رونے کی جب صدا
بے چین ہو کے کہتے تھے سالار انبیاء
چلا کے رورہا ہے کوئی طفل نازنین
لو صاحبو خبر کہ حسین نہ ہو کہیں
راتوں کو اُٹھ کے جوش میں محبوب کردگار
پھرتے تھے گرد خانہ زہرا کے بار بار
آواز سنتے تھے جو نواسوں کے رونے کی
فرماتے تھے پکار کے زہر اسے یوں نبی
بیدار ہو کے نیند سے روتا ہے زار زار
سمجھاؤ تا کہ جلد ہو دل کو میرے قرار
زندہ تھے جب جہاں میں شہنشاہ ذی حسب
کرتے تھے عید ماہ محرم میں سب عرب
سننے کا ماجرا ہے دن آیا جو عید کا
حضرت سے جاکے دونوں نواسوں نے یوں کہا
چھوٹے بڑے مدینے کے پہنے ہیں سب لباس
نانا پھٹے پرانے ہیں کپڑے ہمارے پاس
اہل قریش کپڑے پہن کر کے آئیں گے
مارے حیا کے ہم تو نہ مسجد میں جائیں گے
آزردہ دیکھ دونوں کو شہ کو قلق ہوا
درگاہ کبریا میں نبی نے یہ کی دعا
یارب بہت صغیر ہیں دونوں یہ نازنین
پیغمبروں کے طور سے یہ واقف ذرا نہیں
اتنے میں آئے حضرت جبریل تیز تر
خلدِ بریں سے لائے دو ملبوس خوب تر
کرنے لگے یہ عرض رسالت مآب سے
یہ دونوں جوڑے آب مصفا میں ڈالئے
حلوں کو پانی میں وہیں حضرت نے ڈال کر
پوچھا کے رنگ کو نسامر غوب ہے پسر
بولے حسن کہ رنگ ہمیں سبز چاہیے
نانا ہمارے جوڑے کو دھانی بنائیے
محبوب کبریا نے جو پو چھا حسین کو
ہنس کر کہا کہ جوڑا ہمارا تو سُرخ ہو
ملے نکالے پانی سے جس وقت مصطفے
اک جوڑا سُرخ دوسرے کا رنگ سبز تھا
جب دونوں شاہزادے وہ جوڑے پہن چکے
آنکھوں سے جبرئیل کو آنسو رواں ہوئے
حضرت نے پوچھار وتے ہو بھائی کیوں اس قدر
جبرئیل عرض کرنے لگے ہاتھ جوڑ کر
جوڑا پسند جس نے کیا سبز رنگ کا
الماس پی کے رنگ زمر دسا ہو وے گا
چاہا جو سُرخ جوڑے کو حضرت حسین نے
یہ قتل ہو کے خون میں اپنے نہائیں گے
سلطانِ دو جہاں ہوئے سُنکے یہ بیقرار
امت جو یاد آئی کیا صبر اختیار
یہ عرض پھر حسین انے کی ہو کے چشم تر
اہل مدینہ جاتے ہیں اونٹوں پر بیٹھ کر
ہم کو بھی کوئی ناقہ ملے آج نانا جان
یہ سُن کے آپ اُٹھے شہنشاہ دو جہاں
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Full Shahadat Nama PDF In Hindi
Full Shahadat Nama PDF In Urdu
Shahadat Nama Lyrics Video
FAQs
Shahadat Nama ka padhna deen mein ahmiyat rakhta hai kyunki yeh Shahadat ka izhar karta hai aur insan ko Allah ki zaat ki taraf bulata hai.
Shahadat Nama ko awwal aur akhir mein Durood Sharif ke sath padhna chahiye, aur ise behtareen tajweed ke sath padhna chahiye.
Shahadat Nama padhne se roohani faide hote hain jaise ki Allah ki raza hasil hoti hai, gunahon se maafi milti hai, aur imaan mein izafa hota hai.