शा’बान वो महीना है जिसमें हज़रत मुहम्मद ﷺ ने किसी भी और महीने से ज़्यादा रोज़े रखे, सिवाय रमज़ान के। 15 शा’बान का रोज़ा मुस्तहब है, और नबी करीम ﷺ हर इस्लामी महीने की 13, 14 और 15 तारीख़ को रोज़े रखते थे।
इसलिए, अगर हम सुन्नत पर अमल करना चाहें, तो 15 शा’बान का रोज़ा रख सकते हैं, क्योंकि रोज़ा एक इबादत है और अल्लाह (सुब्हानहु व तआला) की तरफ़ से अजर हासिल करने का ज़रिया भी है। इसके इलावा, एक रिवायत भी 15 शा’बान के रोज़े की तस्ज़ील करती है, जो इसके मुस्तहब होने को और मज़ीद मज़बूत करती है।