Full Shab E Barat Ki Fatiha Ka Tarika In Hindi & English 2025
Overview
शब-ए-बरात , जो शाबान महीने की 15वीं रात को मनाई जाती है, मुसलमानों के लिए एक बहुत ही अहम और मुक़द्दस रात होती है। इस रात में इबादत, दुआ, इस्तग़फार और नेकी करने का सिलसिला जारी रहता है।
एक खास अमल जो इस रात किया जाता है, वह है “शब-ए-बरात की फ़ातिहा” (Shab-e-Barat ki Fatiha ka Tarika)।
इस article में, हम शब-ए-बरात की फ़ातिहा का तरीका(Shab-e-Barat ki Fatiha ka Tarika) और इसकी अहमियत पर बात करेंगे और यह भी जानेंगे कि शब-ए-बरात की दुआ (Shab E Barat ki Dua)का सही तरीका क्या है और Shab E Barat Ki Fatiha Kiske Naam Se Hoti Hai.
Table of Contents
Shab E Barat Ki Fatiha Ka Time (शब-ए-बरात की फातिहा का समय
)
इस्लाम में शब-ए-बरात की फातिहा किसी खास समय तक सीमित नहीं है। यह इबादत किसी भी वक्त की जा सकती है, लेकिन इसकी अहमियत को समझते हुए लोग इसे खास तौर पर शब-ए-बरात की रात में अदा करते हैं।
शब-ए-बरात की रात, जो शाबान की 15वीं तारीख को आती है, मुसलमानों के लिए बहुत अहम और मुबारक होती है। इस रात को इबादत, इस्तग़फार और दुआओं की रात कहा जाता है, जिसमें मुसलमान अपने गुनाहों की माफी और रहमत के लिए अल्लाह से दुआ करते हैं।
फातिहा पढ़ने का Time :
यह रात के शुरू में (मगरिब के बाद) या फिर रात के बीच (इशा और तहज्जुद के दौरान) पढ़ी जा सकती है।
कुछ लोग इसे मगरिब के बाद पढ़ते हैं, तो कुछ इशा और तहज्जुद के बीच पढ़ना पसंद करते हैं।
वैसे तो कोई तय वक्त नहीं है, लेकिन उलमा के मुताबिक इसे रात के सन्नाटे और सुकून में पढ़ना बेहतर माना जाता है। इस समय इंसान अल्लाह की याद में मग्न होता है और दिल से गुनाहों की माफी और रहमत की दुआ करता है।
नतीजा: शब-ए-बरात की फातिहा रात में किसी भी वक्त पढ़ी जा सकती है। दिल से की गई इबादत हर समय कुबूल होती है। यही वजह है कि लोग अपने मरहूमों और गुनाहों की माफी के लिए अल्लाह से दुआ करते हैं, चाहे वह रात के किसी भी हिस्से में हो।
Shab E Barat Ki Fatiha Kin Chijo Par Dena Chahiye
शब-ए-बरात की रात में फ़ातिहा किसी भी हलाल चीज़ पर दी जा सकती है, जैसे गोश्त, रोटी, हलवा, खजूर, बिरयानी, मिठाई या नमकीन। लेकिन याद रखें कि चीज़ें हलाल और पाक होनी चाहिए।
Fatiha Se Pahle Kin Baaton Ko Yaad Rakhna Chahiye
फातिहा पढ़ने से पहले कुछ ज़रूरी बातों का ख्याल रखना चाहिए:
नीयत (इरादा)
वुज़ू (अब्लूशन)
पाक लिबास
ध्यान (तवज्जु)
तजवीद और तर्तीब
अदब और खशू
इन बातों का ख्याल रखने से इबादत में बरकत और क़बूलियत बढ़ती है।
Shab-e-Barat Ki Fatiha Ka Ahmiyat
शब-ए-बरात की फातिहा, अल्लाह से मग़फिरत और रहमत की दुआ करने का बेहतरीन मौका है। इस रात इबादत और तौबा से दिल को पाक किया जाता है।
इस फातिहा के जरिए इंसान अपनी गलतियों की माफी मांगता है और अपनी तक़दीर को बेहतर बनाने की दुआ करता है। यह अमल मुसलमानों को सब्र, तवक्कुल और अल्लाह की रहमत की उम्मीद सिखाता है।
मुसलमानों को अपने आमाल और तक़दीर पर तवक्कुल करने की हिदायत देता है।
Shab E Barat Ki Fatiha ka Tarika
वुज़ू करने के बाद क़िबला रुख बैठ जाएं और जिस चीज़ पर फ़ातिहा देना हो, उसे सामने रख लें। सामने रखना सिर्फ़ जाइज़ और मुबाह है।
अगर वह चीज़ ढकी हुई है तो उसे खोल लें और अगरबत्ती या लोबान जलाएं (अगर मौजूद हो), लेकिन फ़ातिहा की चीज़ों से दूर रखें। फ़ातिहा का मुस्तहब तरीक़ा यह है कि शुरुआत और आख़िर में 3-3 बार दरूद शरीफ़ पढ़ें।
फ़ातिहा देने का सही तरीका:
दरूद-ए-इब्राहीम (3 बार) Jo Niche Di Gayi Hai
सूरह काफ़िरून (1 बार) Jo Niche Di Gayi Hai
सूरह इख़लास (3 बार) Jo Niche Di Gayi Hai
सूरह फ़लक़ (1 बार) Jo Niche Di Gayi Hai
सूरह नास (1 बार) Jo Niche Di Gayi Hai
सूरह फ़ातिहा (1 बार) Jo Niche Di Gayi Hai
सूरह बक़रह (1 बार) Jo Niche Di Gayi Hai
आयत-ए-ख़म्सा (1 बार) Jo Niche Di Gayi Hai
फिर 3 बार दरूद-ए-इब्राहीम पढ़ें।
अगर आपको नमाज़ में पढ़ी जाने वाली बड़ी दरूद-ए-इब्राहीम याद नहीं है, तो कोई भी छोटी दरूद शरीफ़ पढ़ सकते हैं।
जब आप इतना पढ़ लेते हैं, तो आपकी फातिहा मुकम्मल हो जाती है। लेकिन अगर आपको क़ुरआन मजीद की और भी सुरतें और आयतें याद हों, तो उन्हें भी पढ़ लें ताकि ज़्यादा सवाब मिले। अब अल्लाह की बारगाह में हाथ उठाकर इसाले सवाब की दुआ करें:
“या अल्लाह! मैंने तेरी ये कलाम पढ़ी, अगर इसमें कोई गलती हुई हो तो अपने फज़ल और करम से माफ़ फरमा दे।”
“या अल्लाह! इस फातिहा को क़बूल फरमा और इसका सवाब सबसे पहले आका-ए-मदीना सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में पेश करता हूँ।”
“या रब! इसका सवाब अंबिया-ए-किराम, सहाबा-ए-किराम, तमाम औलिया-ए-किराम और ख़ास तौर पर हज़रत हमज़ा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को पहुंचा।”
“या अल्लाह! मेरे ख़ानदान और तमाम मुसलमानों को इस फातिहा का सवाब पहुंचा दे।”
यहीं पर आपकी फातिहा मुकम्मल हो जाती है Aur Aap Chahe to aur bhi dua mang sakte hai.
Shab E Barat Ki Fatiha ka Tarika in Video
Ikhtitam (Conclusion)
दोस्तों, हमारी आज की पोस्ट यह है। इस पोस्ट में हमने शब-ए-बरात की फ़ातिहा का तरीका(Shab E Barat Ki Fatiha Ka Tarika) बताया है, उम्मीद है आपको समझ में आ गया होगा।
इस रात का पूरा फ़ायदा उठाएँ, ज़्यादा इबादत करें और अपने गुनाहों की माफ़ी माँग लें।
अपने ख़ानदान के उन लोगों के लिए मग़फ़िरत की दुआ करें जो इस दुनिया से चले गए हैं, और सभी मुसलमानों के लिए भी दुआ करें।
बताइए, आपको यह पोस्ट कैसी लगी? और आप हमें क्या सलाह देना चाहते हैं, कमेंट में ज़रूर बताएँ। अल्लाह हाफ़िज़।
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Muhammad Sid
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