शब-ए-बरात की रात में पढ़ी जाने वाली सभी नमाज़ों का सही तरीका यहां बताया गया है। इसे ध्यान से पढ़ें और अमल करें।(Shab E Barat Ki Namaz Ka Tarika In Hindi)
1. 100 रकात की नमाज़
- 2-2 रकात करके 100 रकात नफ्ल नमाज अदा करें।
- हर रकात में सूरह फातिहा के बाद 10 बार सूरह इखलास पढ़ें।
- इस नमाज की फजीलत यह है कि अल्लाह तआला 70 बार रहमत की नजर फरमाएगा और हर नजर से 70 हाजतें पूरी करेगा।
2. माफी और उम्र में बरकत के लिए 10 रकात
- 2-2 रकात की नियत से 10 रकात नमाज अदा करें।
- हर रकात में सूरह फातिहा के बाद 11 बार सूरह इखलास पढ़ें।
- यह हुज़ूर ﷺ की तालीमात से साबित है।
3. मगरिब के बाद 6 रकात नमाज़
- 2-2 रकात करके 6 रकात नफ्ल नमाज पढ़ें।
- पहली 2 रकात उम्र में बरकत के लिए।
- दूसरी 2 रकात मुसीबतों से हिफाज़त के लिए।
- आखिरी 2 रकात गैरों की मोहताजी से बचने और अल्लाह पर भरोसा मजबूत करने के लिए।
4. सलातुल तस्बीह (4 रकात)
- शब-ए-बरात की रात में 4 रकात सलातुल तस्बीह जरूर अदा करें।
- यह बहुत फजीलत वाली नमाज है और गुनाहों की माफी का जरिया बनती है।
शब-ए-बरात की इन नमाजों को पढ़कर अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी, रहमत और बरकत की दुआ करें।
Shab E Barat Ki Namaz Kitni Rakat Hoti Hai
अगर आपने पूरी जानकारी ध्यान से पढ़ी होगी, तो हमने बताया कि सबसे पहले 12 रकात, फिर 100 रकात, और उसके बाद 10 रकात नमाज़ अदा करें।
इसके अलावा, मगरिब के बाद 6 रकात नमाज़ 2-2 रकात करके पढ़नी होती है।
क्या शब-ए-बरात की नमाज़ की कोई फिक्स रकात है?
नहीं, शब-ए-बरात की नमाज़ की कोई फिक्स रकात नहीं होती क्योंकि यह नफ्ल नमाज़ है।
आप अपनी सहूलियत के मुताबिक जितनी चाहें उतनी नमाज़ पढ़ सकते हैं।
पहले फर्ज नमाज़ पूरी करें
अगर आपकी कोई फर्ज नमाज़ क़ज़ा हुई है, तो पहले उसे अदा करें, क्योंकि नफ्ल नमाज़ तब पढ़ी जाती है जब फर्ज नमाज़ मुकम्मल हो।
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Shab E Barat Ki Namaz Ki Niyat
वैसे ही करेंगे जैसा कि हम लोग आम नमाज़ की नीयत किया करते हैं। अगर शब-ए-बरात की नमाज़ की नीयत करना हो तो यूं करेंगे:
"मैंने 2 रकात नमाज़ शब-ए-बरात की नफ़्ल वास्ते अल्लाह तआला के, मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ़, अल्लाहु अकबर।"
नवैतु अन उसल्लीय लिल्लाही तआला रकअतै सलातिन नफ्ली मुतवाजिहन इला जिहातिल काबतिश शरीफती, अल्लाहु अकबर।
शब-ए-बरात की नमाज का आसान तरीका
शब-ए-बरात की नमाज़ इस तरह अदा करें जैसे नीचे दिया गया है और नीचे प्रैक्टिकल इमेज के साथ बताया गया है।
पहली रकात:
- नियत करें: 2 रकात शब-ए-बरात की नफ्ल नमाज, सिर्फ अल्लाह के लिए।
- तकबीर: अल्लाहु अकबर कहकर हाथ बांध लें।
- सना पढ़ें: सुब्हानक अल्लाहुम्मा…
- तअव्वुज: अउजुबिल्लाहि मिनश शैतानिर्रजीम।
- तस्मियह: बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम।
- सूरह फातिहा पढ़ें, फिर आमिन कहें।
- सूरह इखलास (कुल हूवल्लाहु अहद) 10 बार पढ़ें।
- रुकू में जाएं और 3 बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम कहें।
- समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहते हुए सीधे खड़े हों, फिर रब्बना लकल हम्द कहें।
- सज्दा करें और 3 बार सुब्हान रब्बियल अला कहें।
- बैठें, फिर दूसरा सज्दा करें, और वही जिक्र दोहराएं।
- दूसरी रकात के लिए खड़े हो जाएं।
दूसरी रकात:
- अउजुबिल्लाह और बिस्मिल्लाह पढ़ें।
- सूरह फातिहा और आमिन कहें।
- सूरह इखलास 10 बार पढ़ें।
- रुकू करें, 3 बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम कहें।
- समिअल्लाहु लिमन हमिदह, फिर रब्बना लकल हम्द कहें।
- सज्दा करें, 3 बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
- बैठें, दूसरा सज्दा करें, और वही जिक्र दोहराएं।
- अब तशह्हुद के लिए बैठें और अत्तहिय्यात पढ़ें।
- दुरूदे इब्राहिम और दुआए मासूरा पढ़ें।
- सलाम फेरें: पहले दाहिने, फिर बाईं तरफ अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहें।
Shab E Barat Ki Namaz Ka Tarika In Hindi With Practicle Image
Step-1 Niyat (नीयत )
अपने दिल में नीयत करें। नमाज़ शुरू करने से पहले यह ज़रूरी है कि आपकी नीयत हो। यह आपकी अपनी ज़बान में हो सकती है।
मिसाल के तौर पर, आप अपने दिल में (बुलंद आवाज़ में नहीं) कह सकते हैं: “नियत की मैने 2 रकात नमाज ए फजर की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।”
Step - 2 Takbeer (तकबीर )
अपने हाथों को कानों या कंधों के बराबर उठाइए, फिर الله أَكْبَر (अल्लाहु अकबर) कहिए। इसका मतलब है “अल्लाह सबसे बड़ा है।” यह अमल खड़े होकर करें।
जब हाथ उठाएँ, तो उंगलियां हल्की सी फ़ासला रखती हों।
Step - 3 Qayyam
अपने दाएं हाथ को बाएं हाथ पर रखें। हाथ को नाफ़ पर, सीने पर या इन दोनों के बीच रखा जा सकता है; इसमें मुख्तलिफ़ इस्लामी फ़िक्हों का इख़्तिलाफ़ है। अपनी नज़र ज़मीन पर मशग़ूल रखें, ख़ास तौर पर उस जगह जहां सजदा करना है। नज़र इधर-उधर न भटकने दें।
इख़्तियारी इस्तिफ़ताह दुआ (सना) पढ़ें:
سُبْحَانَكَ اللّٰهُمَّ
وَبِحَمْدِكَ وَتَبَارَكَ اسْمُكَ وَتَعَالٰى
جَدُّكَ وَلَا إِلٰهَ غَيْرُكَ
तर्जुमा: “सुब्हानकल्लाहुम्मा” का मतलब है: “ऐ अल्लाह! तू हर ऐब से पाक है।” यह जुमला अल्लाह की अज़ीम शान और उसकी पाकीज़गी का इज़हार करता है। “वबिहम्दिका” का मतलब है: “और तेरी तारीफ़ के साथ,” जो यह बताता है कि सिर्फ़ अल्लाह ही हर तारीफ़ का हक़दार है।
“वतबारकस्मुका” का मतलब है: “और तेरा नाम बहुत बरकत वाला है,” जो यह समझाता है कि अल्लाह का नाम लेने से रहमत और बरकत होती है। “वता’आला जद्दुका” का मतलब है: “और तेरी शान बड़ी बुलंद है,” जो अल्लाह की अज़मत और उसकी क़ुदरत का इज़हार करता है।
“वला इलाहा ग़ैरुक” का मतलब है: “और तेरे सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं,” जो तौहीद का इज़हार है और यह तस्दीक़ करता है कि सिर्फ़ अल्लाह ही पूरी कायनात का मालिक और इबादत के लायक़ है।
इसके बाद पढ़ी जाती है
أَعُوذُ بِاللَّهِ مِنَ الشَّيْطٰنِ الرَّجِيْمِ
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
तर्जुमा: “अ’ऊज़ु बिल्लाहि मिना-अश-शयत़ानिर्रजीम” का मतलब है: “मैं अल्लाह की पनाह मांगता हूं शैतान, जो रजीम (ठुकराया गया) है, से।” यह जुमला हमें शैतान के वस्वसो और बुराइयों से बचने की तालीम देता है।
“बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम” का मतलब है: “अल्लाह के नाम से शुरू करता हूं, जो निहायत मेहरबान और बराबर रहमत फरमाने वाला है।” यह जुमला हर काम को अल्लाह की रहमत और मदद से शुरू करने की अहमियत को बयान करता है।
इसके बाद सूरह अल-फ़ातिहा पढ़ें (हर रकअत में यह सूरह पढ़ी जाती है):
الْحَمْدُ لِلّٰهِ رَبِّ الْعٰلَمِيْنَ
الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
مٰلِكِ يَوْمِ الدِّيْنِ
إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِيْنُ
اهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيْمَ
صِرَاطَ الَّذِيْنَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ
غَيْرِ الْمَغْضُوْبِ عَلَيْهِمْ وَلَا الضَّآلِّيْنَ
अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल ‘आलमीन
अर-रहमानिर-रहीम
मालिकी यौमिद्दीन
इय्याका न’अबुदु वा इय्याका नस्त’ईन
इह्दिनास्सिरातल-मुस्तकीम
सिरातल्लज़ीना अं’अमता ‘अलैहिम
ग़ैरिल-मग़दूबि ‘अलैहिम वल-द्दाल्लीं।
तर्जुमा: सब तारीफ़ अल्लाह के लिए है, जो तमाम जहानों का परवरदिगार है। वह निहायत मेहरबान और बराबर रहमत फरमाने वाला है। वह बदले के दिन (क़यामत के दिन) का मालिक है। हम सिर्फ़ उसी की इबादत करते हैं और सिर्फ़ उसी से मदद मांगते हैं। हमें सीधा रास्ता दिखा, उन लोगों का रास्ता जिन पर तूने अपना इनाम फ़रमाया, न कि उनका जिन पर तेरा ग़ज़ब नाज़िल हुआ और न ही गुमराहों का।
सूरह अल-फ़ातिहा के बाद कोई भी दूसरी सूरह या क़ुरआन का हिस्सा पढ़ें, जैसे सूरह इख़लास:
قُلْ هُوَ اللّٰهُ أَحَدٌ
اللّٰهُ الصَّمَدُ
لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُوْلَدْ
وَلَمْ يَكُنْ لَّهُ كُفُوًا أَحَدٌ
तर्जुमा: “क़ुल हुवल्लाहु अहद, अल्लाहुस समद, लम यलिद व लम यूलद, व लम यकुल्लहु कुफ़ुवन अहद”।
याद रहे, फ़र्ज़ नमाज़ की सिर्फ़ पहली दो रकअतों में सूरह अल-फ़ातिहा के बाद कोई सूरह पढ़ी जाती है, जबकि सुन्नत मुअक्कदा में हर रकअत में सूरह अल-फ़ातिहा के बाद एक सूरह पढ़ना मुस्तहब है।
Step-4- Ruku (रुकू )
“अल्लाहु अकबर” कहकर रुकू में जाएं। अपनी कमर और गर्दन को जितना हो सके सीधा रखें, आँखें ज़मीन पर मशगूल रखें, और अपनी उंगलियाँ और हाथों को घुटनों पर रखें। आपकी कमर और सर 90° के एंगल पर होने चाहिए टांगों के साथ, लेकिन ज़रूरी नहीं कि बिल्कुल परफेक्ट एंगल हो, सिर्फ इतना हो कि जिस्म रिलैक्स्ड रहे। इस पोज़ीशन को “रुकू” कहा जाता है।
रुकू में तीन बार “सुब्हाना रब्बीयल अदीम” कहें। इसका तर्ज़ुमा है: “मेरा रब अज़ीम है, और वो हर ऐब से पाक है।”
रुकू से उठ कर खड़े हो जाए। जब उठ रहे हो तो समिआल्लाहु लिमन हमिदाह पढ़ें। इसका मतलब है “अल्लाह उन लोगों की बात सुनते हैं जो उनकी तारीफ करते हैं”।
खड़े हो कर, रब्बना वालक अलहम्द (हमारे रब, तमाम तारीफ तिरी ही है) एक बार दोहराएं।
Step -5- Sajdah (सजदा)
इसके बाद अल्लाहु अकबर कहकर सजदा करना है। जब “सिजदा” (सजदा) में हो, तो यह याद करो कि तुम्हारा माथा और नाक ज़मीन से लगें। यह जो पोजीशन है, उसे “सजदा” कहा जाता है।
जब तुम पूरी तरह सजदा में हो, तो सुभाना रब्बीयल आ’ला (मेरा रब, सबसे अज़ीम है) तीन बार कहना।
इसके बाद अल्लाहु अकबर कहकर सजदा से उठ कर अपने घुटनों पर बैठ जाओ। अपना बाया पैर ज़मीन पर बल से लेकर हील तक रख लो। दाया पैर सिर्फ उंगलियों पर ज़मीन पर होना चाहिए। अपने हाथों को अपने घुटनों पर सीधा रख लो।
फिर से सजदा में जाओ और सुभाना रब्बियाल अल’आ तीन बार कहना।
अल्लाहु अकबर कहकर खड़े हो जाओ।
तुम ने एक रक’आ मुकम्मल कर ली है। नमाज के मुताबिक, तुम्हें और तीन रक’आ मुकम्मल करनी हो सकती हैं।
हर दूसरी रक’आ में, दूसरे सजदे के बाद ये पढ़ें।
और अगर नमाज के आखिरी रक’आ के सजदे के बाद बैठे हो तो तशहुद के बाद दुरूद शरीफ और दुआ मसूरा भी पढ़ें जो नीचे दी गई है।
तशहुद: अत्तहिय्यातु लिल्लाहि वस्सलावातु वत्तय्यिबातु। अस्सलामु ‘अलेका अय्युहन्नबीयू वरहमतुल्लाही वबारकातुहु। अस्सलामु ‘अलेना वा ‘अला ‘इबादिल्लाहिस्सालेहीन। अशहदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाह वा अशहदु अन्ना मुहम्मदन ‘अब्दुहू व रसूलुहू
Tarjuma:- “तमाम तारीफें, दुआएं और पाक बातें अल्लाह के लिए हैं। आप पर सलाम हो, ओ नबी, और अल्लाह की रहमत और बरकत हो। हम पर सलाम हो और अल्लाह के सालेह बंदों पर सलाम हो। मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद अल्लाह के रसूल और बंदा हैं।”
दुरूद: अल्लाहुम्मा सल्लि ‘अला मुहम्मद, वा ‘अला आलि मुहम्मद, कमा सल्लैता ‘अला इब्राहीम, वा ‘अला आलि इब्राहीम, फिल आलमीन इननक हमीदुन मजीद, वा बारिक ‘अला मुहम्मद, वा ‘अला आलि मुहम्मद, कमा बारक्त ‘अला इब्राहीम, वा ‘अला आलि इब्राहीम, फिल आलमीन इननक हमीदुन मजीद
Tarjuma:-“या अल्लाह, मुहम्मद और उनकी आलि मुहम्मद पर दुआ भेज, जैसे आपने इब्राहीम और उनकी आलि पर दुआ भेजी थी, आप लाज़मी तरीके से तारीफ के लायक और अज़ीम हैं। या अल्लाह, मुहम्मद और उनकी आलि मुहम्मद को बरकत दे, जैसे आपने इब्राहीम और उनकी आलि को बरकत दी थी, आप लाज़मी तरीके से तारीफ के लायक और अज़ीम हैं।
Dua E Masurah:- अल्लाहुम्मा इन्नी जलम्तु नफ्सी जुल्मन कसीरंव वला यग्फिरूज् जुनूबा इल्ला अन्ता फग़फिरली मगफिरतम मिन इनदिका व रहमनी इन्नका अन्तल गफूरुर्रहिम
Tarjuma:- ऐ अल्लाह मैंने अपनी जान पर बहुत ज़ुल्म किया है और बेशक तेरे सिवा गुनाहों का बख़्शने वाला कोई नहीं है तू अपनी तरफ से मेरी मगफिरत फरमा और मुझ पर रहम कर बेशक तू ही तो बख्शने वाला मेहरबान है
तशहुद, दुरूद, और किसी भी दुआ के बाद, अपना सिर दाएं तरफ मोड़कर कहो, अस-सलामु अलयकुम व रहमतुल्लाह। जो फ़रिश्ते तुम्हारे अच्छे आमाल लिखते हैं, वो इस तरफ हैं।
अपना सिर बाएं तरफ मोड़कर कहो, अस-सलामु अलयकुम व रहमतुल्लाह। जो फ़रिश्ते तुम्हारे बुरे आमाल लिखते हैं, वो इस तरफ हैं। नमाज़ मुकम्मल हो गई!
Shab E Barat Ki Ibadat
जैसा कि आपको मालूम ही है कि इबादतों में सबसे बड़ी इबादत नमाज़ है, उसी तरह शब-ए-बरात की इबादत में सबसे बड़ी इबादत शब-ए-बरात की नमाज़ है।
Shab E Barat Ki Nafil Namaz Ki Niyat Ka Tarika Kya hai
“मैंने 2 रकात नमाज़ शब-ए-बरात की नफ़्ल वास्ते अल्लाह तआला के, मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ़, अल्लाहु अकबर।”